Monday 3 September 2012

आजाद लोग

-अनुज लुगुन

                                          
मुकाबला जब आजाद लोगों से हो
तो हार-जीत के सवाल बेतुके होते हैं
हारे हुए आजाद आदमी के जज्बात
जीते हुए राजा के जज्बात से
ज्यादा सुंदर और मजबूत होते हैं,
आजाद लोग अपने मरने पर विचार नहीं करते
वे अपने-
देवताओं
पूर्वजों
बच्चों
बूढ़ों और औरतों के सम्मान पर बहस करते हैं
वे किसी हथियारबंद राजा से नहीं डरते
वे एक पेड़ के गिरने से डरते हैं
नदी के सूखने से डरते हैं
आँधी से गिरे
किसी पक्षी के घोंसले को देख वे चिंतित होते हैं,
आजाद लोग अपनी मौत से ज्यादा
दूसरों के जीवन पर बहस करते हैं
आजाद लोग फिर अपने बहसों पर हैं
वे धान की बालियों पर
हवा के लिए बहस कर रहे हैं
वे लोकतंत्र के राजपथ पर
जंगलों के लिए बहस कर रहे हैं।
आज फिर
हारे हुए आजाद आदमी के जज्बात
जीते हुए राजा के जज्बात से ज्यादा सुंदर और मजबूत हैं।

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